मेरे प्यारे सखाओं: आप मुझे ईश्वर द्रोही, धर्म विरोधी या और भी ना जाने क्या समझ सकते है, जबकि मेरा तो यही कहना है कि मैं हर उस विचारधारा के साथ
हूँ जो तार्किक या समझ में आने वाली बात करती है, केवल परम्परा के नाम पर की
जाने वाली, अज्ञात का भय दिखाकर कुतर्क को सच बताने वाली, अतार्किक या अवैज्ञानिक बातों से मैं कदापि सहमत नहीं हो
सकता | अगर कोई व्यक्ति या संस्था किसी तरह की अतार्किक बात या ऐसा कुछ कहता है जिसका
कोई अर्थ ही नहीं निकलता (कुतर्क,
अवैज्ञानिक या
अतार्किक बातों से वैसी भी कोइ अर्थ निकलता भी नहीं) तो मेरा मन उसे स्वीकार नहीं
कर पाता, ये मेरा अपना नजरिया है जो मेरे ४८ वर्षो के ईश्वर प्रदत्त जीवन
के हर पल को पूरी शिद्दत से जीकर बना है और मैं अपने इर्दगिर्द घट रहे मसलों, हालातों व
किरदारों से हकीकतन दो चार होकर जीवन से जद्दोजहद कर अपने नजरिये को निरंतर निखारता रहता हूँ |
मैं यह दावा नहीं करता कि जिन्दगी के इन तमाम तरह के सीधे
या टेढ़े-मेंढ़े रास्तों से गुजरकर, ठोकरें खाकर मैंने जो भी सीखा या समाझा वही अंतिम सत्य है | हो सकता है
मैं सच को पूरी तरह से नहीं जान पाया, नहीं समझ पाया, परन्तु एक बात जो अटल है
वो है मेरी ईमानदारी, मैं वही मानूंगा जो मैं भुगतता हूँ, अनुभव करता हूँ और मेरा दिमाग जिसे स्वीकार करता है, पोलिटिकल डिप्लोमेसी या
दुनियादारी में मेरा यकीन थोड़ा कम ही है यारों
शिक्षा मैंने भी ली है आपने भी ली है अनुभव आपके भी है
मेरे भी है, इस जिन्दगी ने सिर्फ मुझे ही नहीं आपको भी बहुत कुछ सिखाया है, थोड़ा ज्ञान मुझे मिला है तो थोड़ा ज्ञान आपको भी मिला है, आईये आपस में ज्ञान
की साझेदारी करें और सत्य को तलाशने की यात्रा जारी रखें, मित्रवत साथ-साथ
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सत्य की खोज
Friday, July 11, 2014
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